Facts About hanuman chalisa Revealed

[BuddhiHeena=without the need of intelligence; tanu=overall body, individual; jaanike=knowing; sumirau=remembder; pavanakumar=son of wind god, Hanuman; Bal=energy; Buddhi=intelligence; Bidya=information; dehu=give; harahu=take out, very clear; kalesa=ailments; bikara=imperfections]

“Pains will be taken off, all afflictions will be gone of who remembers Hanuman the mighty courageous one particular.”

chhūtahi ChhūtahiFreed / removed bandiBandiShackles / bondage mahāsukha MahāsukhaGreat contentment / bliss HoiHoiBe / is Meaning: He who recites this one hundred situations, he will likely be produced/Reduce from bondage of suffering & sufferings and he can get Fantastic happniness/blissfulness.

मंगलवार, शनिवार के अलावा हनुमान जयंती, राम नवमी और नवरात्रे जैसे शुभ अवसरों पर भी आप हनुमान जी को समर्पित यह सभी पाठ कर सकते है। हनुमान चालीसा लिरिक्स को महान संत गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।

[Maha=wonderful;Beera=Courageous; Vikram=excellent deeds; bajra=diamond; ang=system components; kumati=terrible intellect; nivara=remedy, cleanse, demolish; sumati=good intelligence; ke=of; sangi=companion ]

व्याख्या – श्री हनुमान जी कपिरूप में साक्षात् शिव के अवतार हैं, इसलिये यहाँ इन्हें कपीश कहा गया।

Rama could be the king of all, he would be the king of yogis. You managed all his tasks, or in other translation, He whoever can take refuge in Rama you can manage all their responsibilities.

kānanaKānanaEars KundalaKundalaEar kunchitaKunchitaCurly / extended KeshaKeshaHair That means: You might have golden coloured body shining with great-seeking attire. You've got gorgeous ear-rings with prolonged curly hair.

व्याख्या – श्री हनुमान जी अष्ट–सिद्धियों से सम्पन्न हैं। उनमें सूक्ष्मातिसूक्ष्म एवं अति विस्तीर्ण दोनों रूपों को धारण करने की विशेष क्षमता विद्यमान है। वे शिव (ब्रह्म) का अंश होने के कारण तथा अत्यन्त सूक्ष्म रूप धारण करने से अविज्ञेय भी हैं ‘सूक्ष्मत्वात्तदविज्ञेयम्‘ साथ ही काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, अहंकार, दम्भ आदि भयावह एवं विकराल दुर्गुणों से युक्त लंका को विशेष पराक्रम एवं विकट रूप से ही भस्मसात् किया जाना सम्भव था। अतः श्री हनुमान जी ने दूसरी परिस्थिति में विराट् रूप धारण किया।

सुगम अनुग्रह तुह्मरे तेते ॥२०॥ राम दुआरे तुम रखवारे ।

मति रामहि सों, गति रामहि सों, रति रामसों, रामहि को बलु है।

यहाँ हनुमान जी के स्वरूप की तुलना सागर से की गयी। सागर की दो विशेषताएँ हैं – एक तो सागर से भण्डार का तात्पर्य है और दूसरा सभी वस्तुओं की उसमें परिसमाप्ति होती है। श्री हनुमन्तलाल जी भी ज्ञान के भण्डार हैं और इनमें समस्त गुण समाहित हैं। किसी विशिष्ट व्यक्ति का ही जय–जयकार किया जाता है। श्री हनुमान click here जी ज्ञानियों में अग्रगण्य, सकल गुणों के निधान तथा तीनों लोकों को प्रकाशित करने वाले हैं, अतः यहाँ उनका जय–जयकार किया गया है।

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